लोगों ने कुछ दिया तो सुनाया भी बहुत हैं, हे माँ दुर्गे, एक तेरा ही दर हैं जहाँ मुझे कभी ताना नहीं मिला
महाकाली के भक्तों की टोली जब खेलती है होली तो धरती भी मुस्कुराती है और कहती है मैने ओढ़ी माता की चोली
लोगों ने कुछ दिया तो सुनाया भी बहुत हैं, हे माँ दुर्गे, एक तेरा ही दर हैं जहाँ मुझे कभी ताना नहीं मिला
महाकाली के भक्तों की टोली जब खेलती है होली तो धरती भी मुस्कुराती है और कहती है मैने ओढ़ी माता की चोली